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बिछड़े बच्चों से मिलने के लिए तड़प रही मां की ममता


 



गाजीपुर मां के बिना जीवन की उम्मीद नहीं की जा सकती

मां न होती तो हमारा अस्तित्व ना होता ।

जब नवजात शिशु इस दुनिया में आता है तो सबसे ज्यादा खुशी मां को होती है वह अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती है बच्चे पर आच आने से पहले मां आगे आ जाती है लेकिन जब उसी मां से बच्चों को दूर किया जाता है ।







तो दोनों की  स्थिति नाजुक बन जाती है क्योंकि मां से ज्यादा

कोई और दूसरा प्यार नहीं करता ।


जानकारी के अनुसार हम आपको बता दें कि


ऐसा ही मामला कोतवाली क्षेत्र के भूतियाताण स्थित कॉलोनी में आया है जहां एक रसूखदार रेलवे स्टेशन स्थित मधुर तरंग होटल के मालिक द्वारा अपने बहू को दहेज के लिए घर से बाहर निकाल दिया गया व कई वर्षों तक प्रताड़ित किया गया।

 और छोटे-छोटे बच्चों को मां से अलग कर दिया गया।

 मां न्याय के लिए दर-दर भटक रही है वह कोतवाली से लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक गुहार लगा चुकी है लेकिन कई माह बाद भी न्याय नहीं मिलना तो दूर बच्चों से भी ससुराल वालों ने मिलने तक नहीं दिया है। अपने ही बेटे से मिलने के लिए उच्च न्यायालय हाई कोर्ट का सहारा लेना पड़ा उच्च न्यायालय हाई कोर्ट ने बच्चों से मिलने के लिए हफ्ते में 2 दिन मिलने का आदेश पारित किया। यह सिलसिला कुछ दिन चलता रहा। मृतक आशा जसवाल को हमेशा हमेशा के लिए मौत के घाट उतार दिया गया।

बिरनो थाना क्षेत्र के भड़सर गांव निवासी आशा जयसवाल 32 पुत्री  किशोरी जयसवाल की शादी कोतवाली क्षेत्र के  भूतहियाताण कॉलोनी के उदय प्रताप जायसवाल के पुत्र आशुतोष जयसवाल से 27 नवंबर 2012 को हुई थी।

शादी के बाद से ही लड़की को दहेज की मांग को लेकर लगातार प्रताड़ित किया जाता था विवाहित जीवन व्यतीत के दौरान 2 बच्चे भी हुए जिनकी उम्र करीब 7 से 5 वर्ष है इन्हीं बच्चों के वजह से पीड़िता आशा जसवाल इन लोगों की  सारे जुल्म सहती रही। 

हद तब हो गई जब घर वाले मकान के बैसमेंट में 15 दिन बंद कर दिया गया ।

बहू ने इस मामले को लेकर कोतवाली पुलिस को तहरीर दिया।

पीड़िता ने तहरीर में आरोप लगाया कि उसके ससुराल वाले घर से निकालने के लिए कई दिनों तक भूखा रखा वह हमारी हत्या करना चाहते थे जिसके बाद किसी तरह वहां से बचकर घर चली आई पीड़िता ने वह मुकदमा विगत 2 अप्रैल 2020 को पति सास ससुर व देवर के खिलाफ कराया था बताया कि मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने ससुराल वालों को समझा-बुझाकर हमें रखवा दिया लेकिन ससुराल के व्यवहार में परिवर्तन के बजाय हमारे प्रति और सख्त हो गया मकान के नीचे वाले कमरे में बंद कर ताला लगा देते थे बच्चों से मिलने नहीं देते थे जबकि बच्चे हमारे लिए रोते बिलखते रहते थे।

 इस बात की जानकारी हमने अपने पिता को दी उसके बाद हमारे परिजन बातचीत के लिए 17 जून घर आए ।


ससुराल के लोगों ने पिणिता सहित पिता का भी बेइज्जत कर घर से निकाल दिया।

 वह बच्चों को अपने कब्जे में रख लिए इसकी रिपोर्ट 17 जून को कोतवाली में दर्ज कराया गया पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने पर 20 जून को पुनः sp से परिवार सहित मिलकर लिखित शिकायत की 

लेकिन आज तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई आरोप लगाया कि ससुराल पक्ष काफी रसूख वाला है वह मधुर तरंग होटल के मालिक हैं।





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