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महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना असीम बिहारी की जयंती पर विशेष लेख

 

* महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना असीम बिहारी की जयंती पर विशेष लेख

* मौलाना अली हुसैन असीम बिहारी ;डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की तरह मुस्लिम पसमांदा आंदोलन के जनक थे !! 
पूर्व डीजीपी एम डब्लू अंसारी

By.जावेद बिन अली

उत्तर प्रदेश लखनऊl

मूल निवासियों का भारत देश होने के बावजूद भी, भारतीय इतिहास में भारत के मूल निवासियों में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जिस तरह अपनी इल्मी सलाहियत और मेहनत के कारण पूरी दुनिया में आंदोलनकारियों के लिए एक स्तंभन हैं lलेकिन अफसोस उसी जमाने में मुस्लिम पसमांदा समाज में जन्मे मौलाना अली हुसैन असीम बिहारी का जन्म 15 अप्रैल 1890 और मृत्यु 6 दिसंबर 1953 है lवहीं दूसरी तरफ डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जन्म 14 अप्रैल 1891 एवं उनकी मृत्यु 6 दिसंबर 1956 मैं हुई थीl जिस तरह डॉक्टर अंबेडकर ने शिक्षित बनो ,संगठित बनो एवं संघर्ष करो जैसा हालात पैदा करने की कोशिश मौलाना अली हुसैन असीम बिहारी ने भी आरंभ किया था l
उनकी 6 दिसंबर की जयंती पर पूर्व डीजीपी एम डब्लू अंसारी आईपीएस से जानने का प्रयास किया हैl
प्रश्न 1.मौलानाअली हुसैन असीम बिहारी ने किस तरह मुस्लिम समाज को जागृत करने का प्रयास किया ? 
उत्तर 1.
मौलाना अली हुसैन असीम बिहारी जब वर्ष 1906 मैं 16 वर्ष की आयु में उषा कंपनी कोलकाता में नौकरी से अपनी जिंदगी आरंभ करने वाले ने समाज के अंदर बड़े बूढ़े लोगों की तालीम के लिए एक 5 वर्षीय 1912 से 1917 तक योजना बनाकर काम शुरू किया था l वर्ष 1914 में 24 वर्ष की आयु में मोहल्ला खास गंज, बिहार शरीफ, जिला नालंदा में ^बजमेंअदब ^नामक संस्था के माध्यम से पुस्तकालय का संचालन आरंभ कर दियाl वर्ष 1918 में कोलकाता में ^दारुल मुजाकरा^ नामक एक अध्ययन केंद्र की स्थापना किया! जहां मजदूर पैसा नौजवान और दूसरे लोगों को एकत्रित करके पढ़ने लिखने से लेकर सामाजिक हालात तक का चर्चा क्या करते थे! पूर्ण रूप से गरीब और असहाय लोगों में काम करने का उनका मकसद था lऔर उन्हें समाज के पटल पर रखने का काम किया था !जिस तरह अंबेडकर ने शिक्षा, संगठित और संघर्ष के लिए अपने लोगों से आह्वान किया था lउसी तरह मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी ने किया थाl
प्रश्न 2.
मौलाना आसिम बिहारी का महात्मा गांधी से क्या संबंध थे? 
उत्तर 2.
महात्मा गांधी के साथ लाहौर से लेकर ढाका तक तमाम अहम मीटिगो में उनके साथ साथ तकरीर क्या करते थेl lहालत तो यह थी lवक्त के पाबंद इस कदर थे जिस तरह अंबेडकर ने अपने 4 बच्चों को समाज और देश के लिए कुर्बान कर दिया था lउसी तरह मौलाना आसीन बिहारी ने भी 9 जुलाई 1923 को बिहार में संगठन जमीयतुल मोमिनीन के स्थानीय बैठक में जाना अधिक मुनासिब समझा lजबकि घर में मौजूद 6 महीने 19 दिन का कमरुद्दीन बेटे की मौत को छोड़कर संगठन मैं जाकर लगभग 1 घंटे तक समाज की दशा और दिशा पर निहायतही प्रभावशाली भाषण दिया थाl जिससे लोगों में जागरूकता की लहर दौड़ गई थीl
सन 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद लाला लाजपत राय ,मौलाना आजाद आदि जैसे लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था तो उन्होंने एक राष्ट्रव्यापी पोस्टल प्रोटेस्ट के माध्यम से वॉइसरोए भारत और रानी विक्टोरिया को लगभग डेढ़ लाख टेलीग्राम और पत्र पूरे भारत के गांव और शहर से भिजवा कर छुड़वाने का काम किया था l
नंबर 3 
डॉक्टर अंबेडकर की तरह मुस्लिम समाज में उनका नाम क्यों नहीं है ?
उत्तर !!आजादी के बाद भारतीय मुसलमान भारत के मोहब्बत में रहा तो जरूर गया !लेकिन अपने आप को कमजोर महसूस करने लगा ! इस्लाम मस्जिद नबवी से फैलाया गया और तमाम समस्याओं का निदान किया गया हो lउसने आजादी के बाद भारत में मिलाद शरीफ के जलसे में लिखना आरंभ कर दिया कि इस जलसे का सियासत से कोई संबंध नहीं है lभारत के तमाम बड़े लोग पाकिस्तान चले गए और भारत में मनुवादी इस्लाम बन गयाl जिसके कारण आजादी की लड़ाई में भारत के मूल निवासियों की अधिक भूमिका थीl इसलिए अंग्रेजों ने इनसे जमीन छीन ली और बड़े-बड़े जमीदारों को जमीन दे दिया जो जमीदार बच्चे भी मनुवादी वादी व्यवस्था ने हमारे नाम को दबा दियाl गांधी के हत्यारे को पूरा भारत जानता है lमहात्मा गांधी की जान की रक्षा करने वाले बत्तख मियां अंसारी, झारखंड का टीपू सुल्तान भिखारी अंसारी जिसे 1858 में फांसी देकर चिल कौवा से लाश को खिला दिया गया था !उसे कोई नहीं जानता है! और इसकी जिम्मेदार हम खुद हैं! मिनिस्टर ,एमपी तो बन गए लेकिन अपने इन बहादुरों का नाम लेना तक उचित नहीं समझाl 6 अप्रैल को उनकी मृत्यु हुई थी इनकी कब्र इलाहाबाद मोमिन कॉन्फ्रेंस ,पसमांदा समाज आदि कई दर्जन संगठन सिर्फ सौदा करने के लिए होते हैं l आज तक मूल निवासियों के तमाम बड़े स्वतंत्रता सेनानियों को लोग नहीं जानते हैंl


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