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BrijBhushan Sharan Singh, ब्रिजभूषण शरन सिंह

 दाऊद इब्राहिम की मदद करने में तिहाड़ जेल गए।

इंटरव्यू में हत्या की बात कबूली पर बृज भूषण का राजनीतिक रसूख कभी कम नहीं हुआ राजनीति ऐसी की छह बार से लगातार सांसद हैं।

कारोबार ऐसा की50 से ज्यादा स्कूल कालेज के मालिक और रसूख ऐसा कि 11 साल से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं।

लेकिन बाबरी मस्जिद विध्वंस में कारसेवकों के साथ कंधे से कंधा मिलाने वाले ब्रजभूषण सिंह पर संकट काफी बड़ा है देश के नामी-गिरामी पहलवानों ने ब्रजभूषण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है ब्रज भूषण को पटखनी देने के लिए पहलवान धरना दे रहे हैं उन पर यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप हैं ।

पहलवानों की कोशिश रंग लाई और दिल्ली पुलिस मामले में उनके खिलाफ दो मुकदमे भी दर्ज कर चुकी है ब्रज भूषण पर पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज किया गया है।

गोंडा से छह बार के सांसद बृजभूषण शरन सिंह ने करीब तीन दशकों तक अपनी जागीर चलाई है।

दशकों से 66 वर्षीय बृजभूषण ने विरोधियों को धमकाने और बाहुबली के लिए कुख्यात क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए आस्था अपराध और राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किया।

लेकिन अब भाजपा के इस कछावर नेता पर कैरियर का सबसे बड़ा संकट मंडरा रहा है बृजभूषण इस वक्त सबसे कठिन चुनौती का सामना कर रहा है भारत के सिर्फ पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न और डराने धमकाने का आरोप झेल रहे हैं जो कि भारतीय कुश्ती महासंघ ( डब्लू एफआई) के प्रमुख हैं। पर अब दिल्ली पुलिस ने दो मुकदमे दर्ज कर लिए हैं।

खत्म होगा राजनीतिक रसूख

फिर भी बढ़ते आक्रोश के बावजूद राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रजभूषण का राजनीतिक भविष्य समाप्त हो सकता है, ऐसा कहना जल्दबाजी होगा।

वह अभी भले ही कमजोर दिख रहे हैं लेकिन क्षेत्र में उनके समर्थकों की फौज और राम मंदिर आंदोलन के साथ उनका जुड़ाव लोगों में उनकी पैठ पर स्वीकार्यता को बढ़ाता है।

राजनीतिक विशेषज्ञ इरशाद इल्मी कहते हैं यह सच है कि सिंह के क्षेत्र में काफी समर्थक हैं और राम मंदिर आंदोलन के साथ उनके जुड़ाव ने अयोध्या के साथ अपनी सीमाओं को साझा करने वाले क्षेत्र में उनकी स्वीकार्यता बढ़ा दी है लेकिन उनके राजनीतिक भविष्य के बारे में अनुमान लगाना मुश्किल है।

कौन है बृजभषण


8 जनवरी 1957 को नवाबगंज में जन्मे सिंह अपनी किशोरावस्था में ही अखाड़े में शामिल हो गए थे।
कुछ ही समय में आस्थान या ख्याति भी हासिल कर ली राजनीति में उनका कैरियर अयोध्या के साकेत कॉलेज में छात्र जीवन के दौरान शुरू हुआ इस दौरान अयोध्या राम मंदिर का आंदोलन पनप रहा था जिसमें कूदकर बृजभूषण सिंह ने अपने राजनीतिक कैरियर को दिशा दी।

राम मंदिर आंदोलन और पहला चुनाव


1991 में राम मंदिर आंदोलन की ऊंचाई पर सिंह ने अपना पहला लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ा और कांग्रेस के आनंद सिंह को 102984 मतों से हराया।

इसी वर्ष भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपना पहला बहुमत हासिल किया एक इंटरव्यू में सिंह बताते हैं कि वह आंदोलन में कारसेवकों के साथ थे कारसेवकों को हथियार और बेलचा देने वालों में थे हालांकि बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने वालों में शामिल नहीं थे।

बाबरी विध्वंस में गिरफ्तारी के बाद चमकी राजनीति


अगले साल बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया और कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया लेकिन आगामी मंथन सिंह के लिए एक वरदान साबित हुआ जिन्होंने सार्वजनिक रूप से उन लोगों में से एक होने का दावा किया जिन्होंने बाबरी मस्जिद संरचना को गिराने में मदद की थी एक इंटरव्यू में सिंह बताते हैं आंदोलन के दौरान में मुलायम सिंह के द्वारा गिरफ्तार किए जाने वाला क्षेत्र का पहला व्यक्ति था मैं विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया पहला व्यक्ति भी था सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के साथ मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा आरोपित किया गया था।
लेकिन 2020 में सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।





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