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भागवत गीता के फायदे

जनपद गाजीपुर के मोहम्मदाबाद तहसील के  बगेंद गांव में चल रही शरद संगीत में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में अयोध्या से पधारे मानस मर्मज्ञ   भागवतत्वेता महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री शिवराम दास जी फलाहारी बाबा ने भगवान श्री कृष्ण का मथुरा प्रस्थान कंस वध उद्धव गोपी संवाद द्वारका नगरी की स्थापना श्री कृष्ण के संग रुक्मिणी का विवाह प्रसंग सुनाया! 

उन्होंने कहा कि कृष्ण रुक्मिणी विवाह प्रसंग सुनने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है भगवान कृष्ण ने 16000 कन्याओं से विवाह कर सुखमय जीवन बिताया कृष्ण रुक्मिणी विवाह उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं ने खुशी मनाई

श्री कृष्ण को रुक्मणी ने वरमाला पहनाई तो कथा स्थल पर फूल बरसाए गए

फलाहारी बाबा ने कथा को विस्तार से समझाते हुए कहा कि जब रुक्मणी के कहने पर उन्हें लेकर भगवान श्री कृष्ण विदर्भ से द्वारका जा रहे थे तो नर्मदा तट का सिद्ध क्षेत्र होने के कारण यहां पर भगवान को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को विवाह किया इसके बाद द्वारका के लिए आगे बढ़े वह क्षेत्र वर्तमान में सिद्ध घाट से तिलवारा घाट के मध्य का माना जाता है उस समय इस क्षेत्र को यो योधीनपुर का नाम दिया गया था! 


महाभारत भागवत कथा और स्कंद पुराण के रेवा खंड के 142 में अध्याय में यहां भगवान के विवाह का उल्लेख मिलता है पुराणों में ऐसा वर्णन है कि प्राचीन त्रिपुरी और वर्तमान में जबलपुर का उत्तर भाग चेदि  जिले में शामिल था! 

जिस के राजा शिशुपाल थे वही नर्मदा का दक्षिण भाग विदर्भ में आता था जिसके  राजा भीष्मा थे जिनकी बेटी रुकमणी थी! 

विदर्भ के राजा का बेटा रुक्मी चाहता था कि उसकी बहन रुक्मणी का विवाह शिशुपाल से हो वही जरासंध भी रुक्मणी से विवाह करना चाहता था इस सब के विपरीत राजा बिस्मार्क बेटी रुक्मणी का विवाह भगवान श्री कृष्ण से करना चाहते थे

द्वारका से भगवान के पीछे बलराम सेना लेकर निकले
 रुक्मणी का संदेश मिलते ही भगवान श्री कृष्ण विदर्भ के लिए निकले जब यह बात बलराम को पता चली तो वे पीछे पीछे सेना लेकर निकले तब बलराम ने शिशुपाल और जरासंध से युद्ध किया और वापस लौटने को मजबूर किया! !


 सजा पर रुक्मी के काटे थे बाल
युद्ध में रूक्मी जब भगवान श्री कृष्ण से हार गए तो रुकमणी ने अभय दान की प्रार्थना की तब सजा के तौर पर शुरू कमी के बाल काटे गए थे उस समय रूक्मी को भगवान ने चतुर्भुज स्वरूप में दर्शन किए थे जिसके बाद रूप में लौट गया था! 



इस आयोजन पर भक्ति गीतों का रंगारंग कार्यक्रम हुआ
वाराणसी से पधारे सुप्रसिद्ध गायक रिंकू रसिया के भजन गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो प्रेम से बोलो राधे राधे और जोर से बोलो राधे राधे ऐसे ही भजन और सुभाषितो से कथा पंडाल परिषद आजकल गूंज रहा है प्रमोद कुमार एवं गोल्डी तिवारी के द्वारा कथा को काफी संगीत में बना दिया गया व्यास पूजन का कार्य आचार्य मदन मोहन द्विवेदी आरजू अंचल एवं मोहित कुमार मिश्रा के द्वारा कराया गया कथा में भाजपा नेता पंडित श्याम राज तिवारी, 
 संपूर्णानंद उपाध्याय डॉ श्रीकांत राय प्रधान मनीष राय आशीष राय पत्रकार संत सिंह रविंदर यादव डॉक्टर बलिंदर  राम इकबाल यादव अनूप तिवारी राजेश राम समेत ढेर सारे लोग उपस्थित रहे

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