70% मुकदमा गरीबों को परेशान करने के लिए गलत मुकदमा कायम किया जाता है ताकि वह गरीब व्यक्ति मुकदमा नहीं लड़ पाएगा और पैसे वाले की जीत हो जाएगी कितना मुकदमा हत्याकांड का चल रही हत्यारोपी हत्या करने के बाद जेल जाने के बाद न्यायालय से जमानत कराकर मौज मस्ती लेते हैं और अपनी मौत से मर भी जाते हैं लेकिन न्यायालय से फैसला नहीं आ पाता है यदि समय सीमा निर्धारित होती तो हत्यारोपी को न्यायालय से सजा मिलती तो हत्यारोपियों में एक डर बन जाता है बहुत से हत्यारोपी न्यायालय में अपनी अपनी जुगाड़ लगाकर बाइज्त बरी भी हो जाते हैं इस विषय पर सरकार को एवं सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट को ध्यान देना चाहिए ताकि गरीबों को न्याय मिल सके हर न्यायालय की एक समय सीमा निर्धारित करने की कृपा करें यदि एक न्यायालय में दो की समय-सीमा होती तो भी कोई मुकदमा 10 में निस्तारण हो जाता जैसे तहसील दिवस में प्राथना पत्र डालने पर उसकि समय सीमा एक महीना है आर टी आई के प्राथना पत्र के जवाब की समय-सीमा 90 दिन है इसी तरह हर मुकदमा का समय निर्धारित होना चाहिए यह हम बोधा जायसवाल समाज सेवी अपना विचार व्यक्त किया हूं इसमें भी कोई गलती हो तो माफी मांगता हूं और भारत के संविधान का सम्मान करता हूं जनहित में जारी
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