क्या कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सियासी तूफान का सामना कर पाएंगे या पद छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे जैसे दिल्ली और झारखंड के मुख्यमंत्री हो गए थे।एक और मुख्यमंत्री पर मंडरा रहा संकट कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ मैया इन दिनों तेज सियासी तूफान से गिरे हुए पल पर अपने पत्नी और साले के माध्यम के कथित धोखाधड़ी और सत्ता के दुरुपयोग से 55.8 करोड रुपए उगाहने की कोशिश का आरोप है एक उत्साही व्यक्ति टिजे अब्राहम ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच की मांग कर रखी है विभिन्न मंचों पर मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने की कई कोशिशें के नाकाम होने के बाद अब्राहम ने 26 जुलाई 2024 को राज्यपाल थावरचंद गहलोत के पास याचिका दायर की थी और तत्काल इस दिन राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है बिना समय गवाही डी के शिवकुमार की अध्यक्षता वाली राज्य कैबिनेट ने नोटिस को खारिज भी कर दिया पर राज्यपाल डटे हुए हैं इसका विरोध करते हुए मुख्यमंत्री ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की पर न्यायाधीश एवं नागप्रसन्ना ने उनकी याचिका खारिज कर दी वैसे ऐसे विवाद का सामना करने वाले सिद्धारमैया कर्नाटक के दूसरे मुख्यमंत्री है इससे पहले भाजपा शासन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को राज्यपाल की मंजूरी के बाद पद से हाथ धोना पड़ा था तब कांग्रेस द्वारा नियुक्त राज्यपाल थे अब भूमिकाएं उलट गई है केंद्र में भाजपा और राज्य में कांग्रेस का शासन है विरोध की आवाज लगातार तेज हो गई है कांग्रेस केंद्र सरकार पर पक्षपात का आरोप लगा रही है और राज्य में प्रमुख विपक्षी भाजपा को कांग्रेस पर भ्रष्टाचार की आरोप लगाने का मौका मिल गया है लोगों के बीच आशंकाओं का बाजार गर्म है साल 2018 में भाजपा ने सितार मैया की सरकार में दल बदल कराया था जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया खैर, सिद्धारमैया ने विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता संभाली और हाल में लोकसभा चुनाव में भाजपा से 8 सिम भी छीन ली उनकी स्थिति भी कमजोर नहीं है अब महत्वपूर्ण सवाल यह है कि सिद्धार्मैया ताजा सियासी तूफान का सामना कर सकते है या पद छोड़ने को मजबूर हो सकते हैं जैसा दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और झारखंड में हेमंत सोरेन को करना पड़ा था।
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